*कदापि हार मत मानना*
*मुक्तक*
कभी तुम हार मत मानना
समक्ष हार जान कर।
जीत खुद चल कर आएगी
अपना सीना तान कर।।
राहें कितनी भी हों विषम
बन जाएंगी आसान।
बस खेलो तुम खेल को
स्वयं विजेता मान कर।।
*रचयिता-एस के कपूर*
2..........
*दुआयें प्रभु का मिला वरदान*
*हों जैसे*
दुआयें लेकर चलो कि
बहुत काम देती हैं।
मिट जाती हस्ती फिर भी
दुआयें नाम लेती हैं।।
दुआयें तो मानो प्रभु का
मिला वरदान हों जैसे।
जब लग जाये ठोकर तो
दुआयें थाम लेती हैं।।
एस के कपूर श्री
बरेली
3.............
*तब ये जिंदगी जीत जाती है।*
तेरे देखते देखते ही जिंदगी
यूँ ही बीत जाती है।
मुठ्ठी में रेत की तरह ही ये
बस रीत जाती है।।
पर यदि जीवन जिया तुमने
स्नेह प्रेम धैर्य विवेक से।
तब ये जिन्दगी हर मुश्किल
से जीत जाती है।।
एस के कपूर श्री
बरेली
4...................
*क्यों मिला ये जन्म जवाब है जिन्दगी।*
मेहनत खून पसीने से बना
खिताब है जिन्दगी।
हमारे पाप पुण्य कर्मों का
हिसाब है जिन्दगी।।
जो मिला है ये जीवन फिर
मिलेगा ना दुबारा।
क्यों लिया जन्म धरती पर
जवाब है जिन्दगी।।
एस के कपूर श्री
बरेली
5................
*स्वर्ग को उतार ला जमीन पर।*
बस जन्नत की तम्मना नहीं
जिन्दगी में यकीन कर।
कर सबका भला बस इस
बात में ही आमीन कर।।
यह जन्म जो मिला है प्रभु
की अनमोल देन है।
कर सके तो स्वर्ग को ही तू
उतार ला जमीन पर।।
एस के कपूर श्री
बरेली
6..................
*जीत सकते हो जहान वाणी से।*
अमृत जहर दोनों का ही
रसपान वाणी से।
आदमी की होती असली
पहचान वाणी से।।
ये वाणी हरा भी सकती
आदमी को दुनिया मे।
चाहो तो जीत सकते हो
जहान वाणी से।।
7...............
*दुनिया लगती है परिवार सी*
जब किसी का दर्द दिल में
बसने लगता है।
ह्रदय दूसरे की भी संवेदना को
तकने लगता है।।
जब सारी दुनिया दिखने लगती
है एक परिवार सी।
तब ये पूरा जहान ही अपने सा
लगने लगता है।।
*एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली।*
No comments:
Post a Comment