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Friday, April 10, 2020

ग़ज़ल 

ग़ज़ल 


दर्द से रिश्ता___पुराना हो गया ।

प्यार का हर पल बे'गाना हो गया ।

 

चैन दिल को किस तरह आये भला ,

जब तुम्हे देखे अब जमाना हो गया ।

 

चल रहे थे साथ जब बन हमसफर ,

फूल पथ का वह सयाना हो गया ।

 

दूर साँसों से नहीं होना कभी ,

साथ जीने का__बहाना हो गया ।

 

स्वप्न मेरे सब तुम्हारे हैं हुए ,

दिल तुम्हारा वह ठिकाना हो गया ।

 

आ गयी ऋतु ये वसंती प्यार की,

मौन नजरों का मिलाना हो गया।

 

रह गये प्यासे अधर सुन साथिया,

अश्क पीकर दिन बिताना हो गया।

 

अब विरह से आग भी मागे तपन ,

रूह को मुश्किल जलाना हो गया ।

 

चल गयी चर्चा कदम भी बढ़ गये  ,

हो निडर दरिया थहाना हो गया ।

 

लौट पाना अब नहीं वश में सखे ,

जब प्रणय जल में नहाना हो गया ।

-हेमलता 'हेम'


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Aksharwarta International Research Journal September - 2023 Issue