Impact Factor - 7.125

Friday, April 10, 2020

*गीत-"मैं छोटा सा कवि हूँ"*

मैं छोटा सा कवि हूँ और दर्द को लिखता हूँ,





गीतों में मैं अपने हमदर्द को लिखता हूँ...


तेरी बातों के फूलों से मैं ग़ज़ल पिरोता हूं,


तेरी याद सताए जब छुप छुप के रोता हूं,


तुम क्या जानो कितनी हमें तुमसे मोहब्बत है,


याद आए तो महफिल में भी तनहा होता हूं।।


हूँ नहीं बुरा उतना जितना तुझे लगता हूं,


मैं छोटा सा कवि हूँ और दर्द को लिखता हूँ…


मैंने ढूंढा है बहुत हकीकत और ख्वाबों में,


कोई कली न तुमसी मिली जन्नत के भी बागों में,


जब झांक के देखा अपने दिल में तो तुम्हें पाया,


तुम धड़क रहे थे मेरी धड़कन की रागों में।।


बागों का माली वर्षा गर्मी सर्द को लिखता हूं,


मैं छोटा सा कवि हूँ और दर्द को लिखता हूँ…


©️ *राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'*






Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal May - 2024 Issue