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Monday, April 13, 2020

कोरोना को हराना है

 

चाहे छाये हर और सूनापन,मिलना हो जाये एक दूजे से कम।

कितना भी मन घबराए,चाहे कितनी भी दहशत बढ़ती जाए।

 *करना है एक ही प्रण,किसी भी तरह कोरोना को हराया जाए।* 

 

व्यवसाय कैसे चल पाएंगे और अब कैसे बच्चे पढ़ पाएंगे।

चाहे कितनी भी विपदाएं आये,घर मे मन कितना भी घबराए।

 *करना है एक ही प्रण,किसी भी तरह कोरोना को हराया जाए।*

 

देश की लड़ाई लड़ते जाए,किसी तरह कोरोना को मार भगाए।

अंधकार से लड़ते जाए,नए उजाले की और बस बढ़ते जाए।

 *करना है एक ही प्रण,किसी भी तरह कोरोना को हराया जाए।*

 

जब अकेले कुछ ना हो पाए,एक दूजे से क्यों ना मिल जाए।

एक दूजे हम समझाए,कोई भी बस घर से बाहर जाने ना पाए।

 *करना है एक ही प्रण,किसी भी तरह कोरोना को हराया जाए।*

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

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Aksharwarta International Research Journal, April 2024 Issue