Impact Factor - 7.125

Tuesday, July 28, 2020

लघुकथा - दुरुपयोग

          पंडित हरि किशन जी घर-घर पूजा-पाठ कर अपने और अपने परिवार का लालन-पालन बड़ी मुश्किलों से कर पाते थे।कभी-कभी किसी-किसी घर से अच्छी दक्षिणा  मिलने पर घर पर अच्छा खाना भी बन जाता था।लेकिन कोरोना बीमारी की इन खतरनाक परिस्थितियों में धीरे-धीरे उनके काम में बहुत ही कमी आ गई।आजकल कोई भी अपने घर मे किसी व्यक्ति का आना पसंद नही कर रहा था तो पूजापाठ ही कौन कराएगा।अचानक एक दिन उनके किसी जानने वाले ने किसी पुलिसकर्मी को उनके पास भेजा।पुलिस वाले व्यक्ति का नाम जगदीश्वर था।उसने पंडित जी बोला पंडित जी कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे इस कोरोना काल मे हमारा परिवार इस बीमारी से दूर रहें।पंडित जी मेरा कुछ काम ही ऐसा है कि हम लोग इस दौर में भी घर मे नही बैठ सकते।हमेशा डर लगा रहता है कि कोरोना ना हो जाये।


          बुरे हालात से गुजर रहे पंडित जी ने फौरन पुलिस वाले भैया को हामी भर दी।उन्होंने बताया कि उन्हें कुछ मंत्रों का जाप करना होगा।जिससे उनके घर से इस बीमारी को दूर भगा दिया जाएगा।जिसके लिए उन्हें पंडित जी को ₹25000 देने होंगे।जगदीश्वर जी उनकी बात सुनकर सहमत हो गए और उन्होंने मंत्र उच्चारण के लिए पंडित जी को ₹25000 देकर हामी भर दी।पता नहीं इसे पंडित जी की घर की परिस्थिति कहेंगे या उनके पंडिताई का दुरुपयोग,लेकिन उन्होंने कोरोना काल में अपने परिवार का लालन-पालन करने के लिए जैसे तैसे पैसा कमा ही लिए।जगदीश्वर जी को पूजा करा कर काफी खुशी थी।सुबह तैयार होकर वो अपनी नौकरी के लिए निकल पड़े।


          अब जगदीश्वर जी ₹25000 दिए हैं तो किसी ना किसी से तो उन्हें भी ये निकालने ही थे।उन्होंने आज अपना कार्य स्थल शहर के सबसे व्यस्थ चौराहे को बनाया।चौराहे पर खड़े होकर उन्होंने कुछ गाड़ी वालों को और मोटरसाइकिल वालों को रोक-रोक कर और उन्हें चालान काटने का डर दिखा कर लगभग कुछ ही घंटों में अपने घाटे की पूर्ति कर ली और शायद कुछ ज्यादा ही पैसा लोगो से ले ही लिया।हालांकि इसमें काफी हद तक लोगो का ट्रैफिक के नियमो का ना मानने का हाथ भी था।जगदीश्वर जी ने अपने पद का प्रयोग करते हुए अपने पैसे की पूर्ति कर ही ली।पंडित जी और जगदीश्वर जी दोनों ने अपने पदों का उपयोग करते हुए अपने लिए पैसों की व्यवस्था कर ही ली।


          खैर चालान की चोट खाये हुए व्यक्तियों में यादव जी भी थे।जिन्हें कार के पेपर ना रखने के कारण और चलती गाड़ी में शराब का सेवन करने के कारण ₹5000 का जुर्माना देना पड़ा।वो बहुत ही परेशान थे।लेकिन कोरोना काल मे 5000 रुपये का घाटा उन्हें अपने व्यवसाय से पूरा करना ही था।यादव जी एक हलवाई है।अपने नुकसान से परेशान होकर यादव जी ने मिठाई बनाने में कुछ ज्यादा ही मिलावट कर दी।आज पंडित हरि किशन जी ने पुलिस वाले भैया से पैसे कमाकर सोचा कि चलो आज बच्चो के लिए मिठाई ले लूँ।उन्होंने यादव जी की दुकान से मिठाई ली और घर जाते हुए कुछ मिठाई प्रसाद के रूप में जगदीश्वर जी को दे दी और बाकी मिठाई अपने बच्चों को खाने के लिए दे दी।मिठाई खाने के बाद यादव जी के बच्चे बीमार हो गए और साथ-साथ जगदीश्वर जी का परिवार भी बीमार हो गया।गुस्से से भरे हुए जगदीश्वर जी ने यादव हलवाई को गिरफ्तार कर लिया।हालांकि बाद में वो रिश्वत देकर छूट भी गए।


          *यहाँ शीख देने वाली बात यही है कि यहाँ सभी व्यक्तियों ने अपने-अपने कार्यो में किसी ना किसी तरीके से दूसरे व्यक्ति को दुख देकर अपने लिए पैसों की व्यवस्था की लेकिन अंत मे गलत तरीके से कमाए हुए रुपये को अपने आप को बचाने के लिए गवाना भी पड़ गया।अगर सभी ने अपने कामो को सही तरह से किया होता तो किसी को भी परेशान नही होना पड़ता।*


 


नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).


Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal May - 2024 Issue