Impact Factor - 7.125

Tuesday, July 28, 2020

व्यंग्य-2021 की सुहानी सुबह

        नए साल का पहला दिन। उत्सुकता वश नए साल की बधाईयों के आदान प्रदान के लिए आंख जल्दी खुल गई। अंगड़ाई लेने छत पर गए। आकाश शीशे  की तरह साफ और गहरा नीला। दूर हिमालय भी बर्फ से ढंका नजर आने लगा। दिमाग थोड़ा हिला जरुर .....पर थोड़ी देर में ही अपनी जगह आ गया। पक्षियों के चहचहाने की आवाजें आने लगीं और कुछ नए पंछी भी दिखने लगे। ट््रैफिक का कोई शोर नहीं । धर्मस्थलों के कानफाड़ू लाउड स्पीकर भी शांत थे।

    पार्क गए। लोग बिना मास्क के योग करते हा... हा ...ही ....ही... करते हुए इसके जनक का स्मरण करते दिखे। घर आते ही टी. वी. खोला। चैनल घुमाए। सबसे बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब हर चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज का फटट्ा् गायब पाया। किसी ने हमारे ज्ञान में वृद्धि नहीं की कि यह खबर सबसे पहले हमारे चैनल पर या एक्सक्लुसिव रिपोर्ट। कोई नया अति उत्साहित चैनल - ‘खबरें परसों तक’ भी  नहीं खुला जो आने वाली खबरों को तीन दिन पहले दिखा दे।

बारी बारी सभी के बटन दबाए। किसी बैंक का एटी एम नहीं उखड़ा। कोई बैंक का पैसा लेकर विदेश नहीं भागा उल्टे कई ऐसे सज्ज्न सरकार के मेहमान बन गए। अचानक हमारे खाते में 5 लाख की एंट्री फलैश करने लगी और हमारे चक्षु भी। गेैंग्स्टर यमलोक यात्रा पर डायरेक्ट एक्सपोर्ट कर दिए गए। वकील खाली -अदालतें तन्हा । निचले वर्ग के साथ साथ मध्यम वर्ग के मुंह पर भी ‘फील गुड’ की रेखाएं नजर आने लगीं क्योंकि यह वर्ग भी गरीबी रेखा के नीचे आ गया।किसी चैनल पर धार्मिक विवाद नहीं छिड़ा। पार्टी प्रवक्ता अपने अपने घरों में शांत बैठे नजर आए।

  विदेशी समाचारों में ट्र्म्प, जिनपिंग, इमरान, मोदी गलबहियां पाते , चाय पर चर्चा करते झूले झूलते नजर आए। सीमा पर कोई सैनिक नहीं था उल्टे सैनिक भंगड़ा पाते दिखे। कश्मीर में किसी एन्कांउटर की खबर नहीं थी। सेना के जवान आराम कर रहे थे। सत्गुरु , बेल पर रिहा होकर अपने पुराने धंधे पर लौट आए। कुछ नए संतों, प्रचारकांे, ज्योतिषियों  टेरो रीडर बनी नई नई मॉडलों ने अपने ही नए नए चैनल खोल लिए और धुआंधार मार्किटिंग कर रहे हैं।

             डाक्टरों ने धोखे से किडनी निकालना बंद कर दिया है। प्राईवेट अस्पतालों में अब मरे हुए मरीजों  को वेंटीलेटरों पर महीनों नहीं लटकाया जाता।  सरकारी नर्सों में सेवा भावना टपकने लगी है और वे एयर होस्टेस की तरह व्यवहार कर रही हैं । अब लोग डाक्टरों की पिटाई नहीं कर रहे। उन्हें समझ आ  गया है कि हर मौत डाक्टरों की गलती से नहीं होती कभी कभी यमराज के डिपार्टमेंट से भी हो जाती है।

        सरकारी कर्मचारी, बैंक कर्मी तमीज से पेश आ रहे हैं। चाय समोसे अपनी जेब से खिला रहे हैं। तहसीलदार और उसका स्टाफ बिना चूं चपड़ के 'निशुल्क' ,रजिस्ट्र्ी पर स्टैम्प और साइन मार रहा है। सबका हृदय परिवर्तन र्प्यावरण की तरह साफ हो गया है।

         थानों के कर्मी मक्खियां ढूंढ रहे हैं।ं न वाहन चोरी न कोई अन्य अपराध। वीमेन सेल के कर्मी ,सास -बहू ,टाइप सीरियल देखने में मस्त हैं। वित्त मंत्री के अनुसार चरमरायी अर्थव्यवस्था बुलेट ट्रेन से भी फास्ट दौड़ रही है। गृह मंत्री अपने गृह में आराम फरमा रहे हैं। प्रधान मंत्री नए नए देशों की खोज में निकले हुए  हैं। दूकानों में चीनी माल चमक रहा है। जो मजदूर नंगे पैर गावों को पैदल दौड़ रहे थे अब पैंट कोट टाई लगा कर ईंटे ढो रहे हैं। नए भारत का निर्माण हो रहा है। पंजाबी युवक बापू का खेत बिकवा के कनाडा नहीं भाग रहे न ही दारु और बंदूकों वाले गानों की वीडियो बना रहे हैं।

         सच जी।  ये सब हमने अपनी नंगी आखें से पर्सनली देखा। 

राम मंदिर के निर्माण के साथ ही रामराज्य का आधुनिक युग आरंभ हो गया। हम मारे खुशी के झूम उठे, उछलने कूदने लगे।

          तभी  पत्नी ने कर्कश ध्वनि में डांटा,‘ क्या सोते सोते लात घूंसे चलाए जा रहे हो? नए साल की खुशी में तुम्हारे नालायक दोस्तों ने ज्यादा उड़ेल दी क्या ?। उठो 9 बज गए हैं। वर्क फ्रॉम होम के दिन हवा हुए। 

बस जी ! हम अच्छे खासे  2021 में  प्रवेश करने ही वाले थे कि पत्नी की दहाड़ से , धाड़ से 2020 में आ गिरे।

Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal May - 2024 Issue