Impact Factor - 7.125

Friday, August 28, 2020

ग़ज़ल




 

ग़ज़ल🌹




 

बहर-2122 2122

 

दूर है मुझसे खुशी क्यों 

बिखरी सी है ज़िन्दगी क्यों 

 

चार दिन जीना है सबको

दिल में फिर ये दुश्मनी क्यों 

 

रोशनी दी जिसने हमको 

उसके घर में तीरगी क्यों 

 

आदमी का खूँ है पीता

अब यहा हर आदमी क्यों

 

आधुनिकता के भँवर में

हो गई गुम सादगी क्यों

 

 

✍जितेंद्र सुकुमार  'साहिर '

       शायर



No comments:

Post a Comment

Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal, January - 2025 Issue