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Wednesday, November 18, 2020

बाल कविता      *बचपन* 

बाल कविता

 

     *बचपन* 

बचपन के दिन 

कितने है हसीन । 

मजा नहीं आएं 

दोस्तों के बिन ।। 

नीर में ढूंढे रेत 

खेलते ऐसे खेल । 

कभी मिट्टी आएं 

कभी आएं रेत ।। 

नीर में देख छवि

 भरें किलकारी । 

घर बनाने की कर 

रहें नन्हे तैयारी ।।

 

    ✍️ गोपाल कौशल 

नागदा जिला धार मध्यप्रदेश 

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