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Tuesday, December 10, 2019

हिंदी वेब पत्रकारिता का प्रारूप, चुनौतियाँ और संभावनाँ

 सारांश:- इन्टरनेट के माध्यम से संचालित होनेवाली पत्रकारिता को ही वेब पत्रकारिता कहा जाता है. वत्र्तमान समय में पाठकों में इस पत्रकारिता की क्रेज बहुत अधिक बढ़ी है. इसी को देखते हुए हिंदी के लगभग सभी समाचारपत्रों एवं समाचारएजेंसियों ने स्वतंत्र रूप में अपने समाचार साइटों को विकसित किया है. यहाँ तक की आकाशवाणी और टेलीविजन चौनल ने भी अपना रूप बदलकर अपने अंतर्जाल संस्करण शुरू किए है. वेब परऑनलाइन सहित्यिक पत्रिकाओं की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है.साथ ही ब्लॉग के आगमन से भी हिंदी वेब पत्रकारिता और साहित्य अधिकाधिक समृद्ध हो रहे है. साहित्यकार अपने ब्लॉगके जरिए वैश्विक पाठकसे जुड़ कर हिंदी भाषा और साहित्य को विश्व स्तर तक पहुँचा रहे है. तकनीकी अवरोध तथा फॉण्ट की समस्याओं से भी हिंदी वेब मीडिया अब लगभग मुक्त हो चुका है. वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में इतनी मजबूत पकड़ बनने के बावजूद भीहिंदी वेब पत्रकारिता के सामने आज  भी साक्षरता,बिजली का अभाव,आर्थिक स्त्रोत तथा विश्वसनीयता जैसी चुनौतियाँ है. वेब पत्रकारिता एवं मीडिया लेखन के क्षेत्र में प्रतिदिन नए - नए आयाम विकसित हो रहे हैं. वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में करियर की बहुत अधिक संभावनाएं है इस क्षेत्र का तकनीकी ज्ञान,भाषा और सूचना कौशल आपको एक बेहतर करियर और रोजगार  का अवसर प्रदान करता है.
मुख्य शब्द:- 
वेब पत्रकारिता,तकनीकी अवरोध, चुनौतियाँ,करियर, रोजगार, संभावनाएँ 
 प्रस्तावना :- आज का युग संचार क्रांति का युग है. संचारक्रांति की इस प्रक्रिया में जनसंचार माध्यमों के भी आयाम बदल  रहे हैं. आज की वैश्विक अवधारणा के अंतर्गत सूचना एक हथियार के रूप में परिवर्तित हो गई है. सूचना जगत गतिमान हो गया है, जिसका प्रभाव जनसंचार माध्यमों पर पड़ा है. समाचारपत्र, रेडिओ और टेलीविजन जैसे पारंपरिक माध्यमों की जगह  आज वेब मीडिया ने ले ली है.परंपरागत पत्रकारिता से बिलकुल भिन्न कम्पुटर और इन्टरनेट के माध्यम से संचालित पत्रकारिता को वेब पत्रकारिता कहा जाता है.इसे ऑनलाइन पत्रकारिता,इन्टरनेट पत्रकारिता तथा सायबर जर्नलिज्म के नाम से भी जाना जाता है.इसकी पहुँच किसी एक पाठक,गाँव,शहर या एक देश तक सीमित नहीं है  बल्कि सम्पूर्ण विश्व तक होती है. इसे प्रिंट मीडिया,रेडिओ और टेलीविजन का मिला जुला रूप भी कह सकतें है.चूँकि इसमें समाचारों को पढ़ा भी जा सकता है तथा सुना और देखा भी जा सकता है.इसमें टेक्स्ट,पिक्चर्स, ऑडियो और वीडियो का  प्रभावकारी रूप से प्रयोग किया जाता है. 'इसमें वेब सूचना यहाँ से वहाँ रखी जा सकती है, संरक्षित की जा सकती है और इस तरह सुरक्षित बनी रह सकती है. किसी पुरानी घटना से जुडी सूचनाएँ अगर सुरक्षित यानी सेव की गई है तो वे नए हालात में नए सन्दर्भों में काम आ सकती हैÓ1 इसमें सूचना और समाचारों के अतिरिक्त लेख,कविता, कहानी, उपन्यास,व्यंग्य,फीचर,साक्षात्कार,समीक्षा तथा समसामयिक विषयों पर आलेख भी प्रदर्शित होतें हैं.'वेब पत्रकारिता ने सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे को काफी विस्तार दिया है.जहाँ कल तक मीडिया पर एक खास वर्ग तथा खास विषयों का दबदबा रहायवहीं पर पत्रकारिता ने समाज से जुड़े मुद्दे का उठाने ने काफी मदद की हैÓ2 इस तरह साहित्यिक विधाएँ,ज्ञान-विज्ञान,मनोरंजन तथा प्रादेशिक, राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय अद्यतन खबरों से भरपूर होती है यह वेब पत्रकारिता.
 विषय विश्लेषण:- अंग्रेजी में ऑनलाइन परकारिता की शुरुआत हिंदी से पहले हुई 'भारत में 1995  के उतरार्ध में चेन्नई से प्रकाशित द हिन्दू (अंग्रेजी)ने अपना पहला इन्टरनेट संस्करण देना शुरू कियाÓ3 इसके बाद तो एक से एक प्रतिष्ठित समाचारपत्रों ने अपने-अपने इन्टरनेट  संस्करण तैयार किए.लेकिन हिंदी में फ ॉण्ट जैसी तथा अन्य तकनीकी समस्याओं के कारण समाचारपत्रों के इन्टरनेट संस्करण आने में काफी समय लगा'4 दिसंबर 1996 को इंदौर के अखबार 'नई दुनियाÓ ने 'वेब दुनियाÓ नाम  से हिंदी समाचार पोर्टल लॉन्च कर हिंदी वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात कियाÓ।5, '2 मई 1996 को आकाशवाणी ने  भी ऑनलाइन सूचना सेवा का प्रायोगिक संस्करण आरंभकियाÓ590 के दशक के उत्तरार्ध में महत्वपूर्ण हिंदी दैनिकों ने तेजी से अपने समाचार साइटों का विकास प्रारंभ किया.इनमें जागरण (17 जनवरी 1997) अमर उजाला (24 जुलाई 1998), भास्कर (4 मार्च 1997 ), राजस्थान पत्रिका (19 फरवरी 1998), प्रभासाक्षी,लश्कर डॉट कॉम(4 जनवरी 1999), प्रभात खबर (7 फरवरी 2000)आदि प्रमुख थी. इसके अतिरिक्त नवभारत टाइम्स,राष्ट्रीय सहारा, पांचजन्य,इंडिया टुडे,आगरा न्यूज, मीडिया मंच,प्रवक्ता, भड़ास,ब्लॉग प्रहरी,बीबीसी हिंदी सेवा आदि समाचारपत्रों के जाल संस्करण भी उपलब्ध हो गए. इसी सूची में समाचार एजेंसियों को भी समाहित किया जा सकता है. जिसमें यूनीवार्ता, पीटीआई,आरएनआई आदि प्रमुख है. विश्व की प्रमुखतम आईटी कम्पनियां भी भाषाई महत्ता के अर्थशास्त्र का भांपते हुए अब लगातार हिंदी में समाचार पोर्टल का संचालन करने लगी है. जिसमें याहू, गूगल हिंदी एमएसएन, रेडिफ डॉट कॉम,सत्यम ऑनलाइन,विमेन इन्फ ोलाईट आदि  कुछ बड़े पोर्टल है. विकिपीडिया का हिंदी वर्जन भी हिंदी सहित हिंदी पत्रकारिता का गति देने लगी है. इस प्रकार से 2006 के अंतिम दिनों में  लगभग सभी प्रतिष्ठित समाचारपत्रों एवं टेलीविजन चौनल के अंतर्जाल संस्करण भी उपलब्ध हो गए. इन्टरनेट पर ऑनलाइन सहित्यिक पत्रिकाओं की संख्या निरंतर बढ़ रही है. इन स्तरिय पत्रिकाओं में सृजनगाथा, रचनाकार, कविताकोश, मधुमती, वागर्थ, हंस, कलायन, कृत्या, छाया, ताप्तिलोक, उदगम, उदभव, मीडिया विमर्श,वर्तमान साहित्य,वीणा,गवेषणा,अर्गला,लिटरेचर वल्र्ड डॉटकॉम आदि जैसी सैकड़ों पत्रिकाएं और ब्लॉग  हैं जो कई देशों में बहुत ही कम  समय में  लोकप्रिय हो चुकी है.इस दरमियान विदेशों में खासकर अमेरिका, जपान, जर्मनी आदि देशों में हिंदी की महत्वपूर्ण वेबसाइट अस्तित्व में आयी, जिनमें अभिव्यक्ति, अनुभूति, भारतदर्शन,हिंदी नेस्ट,साहित्यकुंज आदि प्रमुख है. इन्टरनेट पर मुक्त लेखन की  नई  विधा  ब्लॉग के आगमन से भी हिंदी वेब पत्रकारिता समृद्ध हो रही है. 'हिंदी ब्लोगिंग की शुरुवात 21 अप्रैल 2003 को हुई थी जब आलोककुमार ने हिंदी के पहले ब्लॉग नौ दो ग्यारह  का प्रकाशन कियाÓ6 ब्लॉग मुक्त सृजन का मंच है. इसके माध्यम से हमें किसी भी तरह की अनुभूति को स्वछंद रूप में अभिव्यक्ति करने की पूरी छुट होती है. आपको ब्लॉग पर विभिन्न विषयों की महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है,जिसमे राजनीती, धर्म, मीडिया, साहित्य, पत्रकारिता, सिनेमा, स्वास्थ्य, खान-पान, कला, शिक्षा, संस्कार,सेक्स, खेती-बाड़ी, ज्योतिष, समाज सेवा, पर्यटन, तकनीकी, वन्य जीवन, नियम कानून इत्यादि प्रमुख है. इसकी महत्ता और उपयोगिता को समझकर कई विचारक और साहित्यकार अपने ब्लॉग के जरिए वैश्विक पाठक से जुड़े हुए है. कुछ वर्ष पूर्व तक इक्का दृदुक्का ब्लोगर अंतर्जाल पर थे लेकिन आज देखते ही देखतें यह संख्या हजारों तक पहुँच चुकी है. यानी की हिंदीवाले भी इस दिशा में पीछे नहीं है.
 हिंदी वेब मीडिया के अपेक्षित विकास एवं लोकप्रियता में गुणात्मक वृद्धि नही होने के पीछे उचित तकनीकी का अभाव रहा है.इसी के चलते अब तक हम अंग्रेजी वेब मीडिया की तुलना में पीछे चल रहे है.इस संबंध में प्रसिद्ध हिंदी पत्रकार और आलोचक विष्णु खरे का मानना है 'अगर दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाई जाए तो हिंदी में वेब साईट भी अंग्रेजी के साथ-साथ कदम से कदम मिलकर चल सकती है.यदि वांछित तकनीकी शोध के साथ दृसाथ कॉपीराइट एवं अन्य संबंधित विविध कठिनाईयों को लगातार दूर करने के प्रयास किए जाते है'।7   
 तकनीकी अवरोध दूर करने की दृष्टि से पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार के नेशनल सेंटर फॉर सोफ्टवेयर टेक्नोलॉजी,मुंबई, सी-डैक पुणे,इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इनफ ार्मेशन टेक्नोलॉजी, हैदराबाद आदि संस्थान और माइक्रोसॉफ्ट,याहू,रेडिफ,रेट हैट आदि जैसी वेब कंपनियों ने हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओँ की लगभग तमाम समस्याओं को हल करने का प्रयास किया है.'भाषा तकनीक में विकसित उपकरणों को जनसामान्य तक पहुँचाने हेतु बाकायदा वेबसाइट के द्वारा व्यवस्था की गई है.जहाँ मंत्रालय के वेबसाइट पर लॉगऑन करके सीडी मुफ्त में में बुलवाई जा सकती है. वहीं इनमें से आवश्यक अप्लिकेशन या सोफ्टवेयर डाउनलोड भी किए जा सकते हैÓ।8'सी-डैक ने हिंदी भाषा सिखाने हेतु लीला नामक वेब साईट उपलब्ध करवाई हैÓ।9 इस वेब साईट के माध्यम से हिंदी के साथ भारतीय भाषाओँ की पढाई ऑनलाइन मुफ्त प्रदान की जा रही है.माइक्रोसॉफ्ट ने यूनिकोड आधारित फॉण्ट मंगल को विण्डोस एक्सपी ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ उपलब्ध करके देने से हिंदी प्रेमियों को फ ॉण्ट की समस्याओं से छुटकारा मिल गया है. माइक्रोसॉफ्ट की ही भाषा इंडिया नामक परियोजना भी है जो कार्य के लिए मदत कर रही है. 
 पत्रकारिता के क्षेत्र में अगर अपनी साख बनाएं रखनी है तो निश्चित ही कुछ सिधान्तों का पालन करना आवश्यक होता है. आज समाज में जनसंचार के अनेकानेक साधन उपलब्ध है और इन सब में अपना स्थान बनाएं  रखना हिंदी वेब पत्रकारिता के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य  है. वेब अभिव्यक्ति का मुक्त मंच होने के कारण इस माध्यम में सूचनाओं की विश्वसनीयता को लेकर हमेशा सतर्क रहना पड़ता है. पब्लिसिटी के लिए अनैतिकता को बढ़ावा न मिलें इसकी ओर ध्यान देना जरुरी होता है. बिना सत्यापन के किसी जानकारी को वेब पर स्थान देने से इस पत्रकारिता की गरिमा मलिन हो सकती है. वेब पत्रकारिता का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है. अधिकाधिक जन तक सूचना को पहुँचाने के लिए यह सबसे सरल माध्यम है. परंतु इससे लाभान्वित होने के लिए व्यापक क्षेत्र तक इन्टरनेट की पहुँच और हर पाठक वर्ग का साक्षर होना आवश्यक होता है. शहरों के लिए तो कोई समस्या नहीं है पर ग्रामीण या आँचलिक भागों में,पहाड़ी इलाकों में बिजली का अभाव या सिग्नल की पहुँच कम है. ऐसे में वेब पत्रकारिता को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाना भी बड़ी चुनौती है.पोर्टल से प्रसारित सामग्री का जनोपयोगी होना अपेक्षित होता है. इसलिए वेब पत्रकारिता को शिक्षाप्रद और ज्ञानप्रद बनाना आवश्यक है. वेब मीडिया को संचालित करना और उसे निरंतर अपडेट रखना भी बड़ा कठिन कार्य होता है. इसके लिए आर्थिक रूप से सक्षम होना जरुरी है.लेकिन अन्य मीडिया में जिस प्रकार विज्ञापनों द्वारा आर्थिक स्त्रोत प्राप्त किए जा रहे है, उस प्रकार वेब मीडिया द्वारा कम होता है. इस प्रकार की विभिन्न मुश्किलों और चुनौतियों का सामना कर हिंदी वेब पत्रकारिता को प्रतिष्ठित करना होगा.
 वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में करियर की बहुत अधिक संभावनाएं है. संचार क्रांति के इस युग में लोग अखबार से ज्यादा इन्टरनेट के माध्यम से खबरों को जानना ज्यादा पसंद करते है.इसीलिएआप पत्रकारिता का कोर्स या इस क्षेत्र का सर्टिफिकेट अथवा डिप्लोमा कोर्स करने के बादकिसी भी ऑनलाइन न्यूज पोर्टल से जुड़कर एक वेब पत्रकार तथा तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में काम कर सकते है.इसके अतिरिक्त बतौर फ्रीलांसर भी इस क्षेत्र में बहुत स्कोप है.इस तरह आपको एक साथ कई वैबसाईट में अपनी सेवाएँ देने का अवसर मिल सकता है.खेल,साहित्य,कला,तकनीकी,स्वाथ्य,संस्कृति जैसी लोकोपयोगी साइटों पर करियर की उज्जवल संभावनाएं है. यदि आप इस क्षेत्र में अपने आपको स्थापित करना चाहते हो तो आपको खबरों को समझकर उन्हें प्रस्तुत करने की कला,तकनीकी ज्ञान के साथ साथ भाषा पर अच्छी पकड का होना भी आवश्यक है. कुछ सालों के अनुभव व तकनीकी ज्ञान की बारीकियां सीखने के पश्च्यात आप स्वतंत्र न्यूज पोर्टल चला के अच्छी आर्थिक आय भीप्राप्त सकते हैं .
 निष्कर्ष:-आज वेब संस्करण चलानेवाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं की संख्या कम है भविष्य में हर एक पत्र-पत्रिका ऑनलाइन होगी साथ ही साथ स्वतंत्र न्यूज पोर्टल की संख्या में भी वृद्धि होगी. भारत में मोबाईल तकनीकी और फोन सेवा प्रदान करनेवाले टेलिकॉम ऑप्रेटर भी इसके प्रसार में अपनी महतम भूमिका निभा रहे हैं .एंड्राइड मोबाइल्स हो या फिर अन्य साधन जिनके माध्यम से कहीं भी किसी भी समयहम सूचना तुरंत प्राप्त कर सकते हैं .इस प्रकार से कहा जा सकता है कि पत्रकारिता एवं मीडिया लेखन के क्षेत्र में प्रतिदिन नए -नए आयाम विकसित हो रहे हैं.मुद्रित माध्यम से आरंभ हुई पत्रकारिता आज इन्टरनेट के जरिए विश्वव्यापी बन चुकी है.सूचना,लेखन,तकनीक तथा विविध विधाओं का स्वरुप इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता में बदल गया है.व्यापक परिप्रेक्ष्य में हिंदी वेब पत्रकारिता ने हिंदी भाषा और साहित्य को विश्व जनमानस से जोड़कर हिंदी को अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराया है.भारत सरकार ने भी इस पत्रकारिता को अधिकृत मान्यता देकर  कैरियर और रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराएँ हैं.इसके अलावा भारत के कई विश्वविद्यालयों और शिक्षा प्रतिष्ठानों में ऑनलाइन पत्रकारिता पाठ्यक्रमों का जिस गति से विकास हो रहा है.उसे देखकर निश्चित रूप से हिंदी वेब पत्रकारिता का भविष्य उज्वल दिख रहा है.


संदर्भ सूची :-
1. शालिनी जोशी, शिवप्रसाद जोशी,वेबपत्रकारिता: नया मीडिया नये  रुझान,राधाकृष्ण प्रकाशन,नई दिल्ली,प्र.सं.2012,पृष्ठ 32
2. संपा. हंसराज सुमन, एस.विक्रम,वेब पत्रकारिता,श्री.नटराज   प्रकाशन, दिल्ली,प्र.सं. 2010,पृष्ठ 29
3. वहीं,पृष्ठ 18
4. सुरेश कुमार,इन्टरनेट पत्रकारिता,तक्षशिला प्रकाशन,नई    दिल्ली,प्र.सं. 2004, भूमिका से 
5. जयप्रकाश मानस, अतीत,आगत और अनंत,(आलेख)
6. सुरेश कुमार,इन्टरनेट पत्रकारिता,तक्षशिला प्रकाशन,नई    दिल्ली,प्र.सं. 2004,पृष्ठ 16
7. संपा.हंसराज सुमन,एस.विक्रम,वेब पत्रकारिता, श्री.नटराज   प्रकाशन,दिल्ली,प्र.सं. 2010,पृष्ठ 24
8. विजय प्रभाकरकाम्बले,भारतीय भाषाओँ में कम्प्युटर और   विश्वजाल का विकास
9. रविन्द्र प्रभात,हिंदी ब्लोगिंग का इतिहास,हिंदी साहित्य    निकेतन,बिजनौर,प्र.सं.2011, पृष्ठ 07


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Aksharwarta International Research Journal May - 2024 Issue