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Sunday, January 26, 2020

कविता










उड़ना है...
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नारी तू अबला नहीं सबला है।
तोड़ कर बंधन बेड़ियों की,
उड़ जा सामने खुला फलक है।
पंख फैलाओ सीमा लाँघो ,
क्षितिज तुझे छुना है।

बह जा नदी की धार बनकर
जहाँ भी तेरी मर्ज़ी है
भँवर जाल रोक न सकेंगे
तेरे उन अरमानों को।

घर आँगन के चौखट से निकल कर,
नसीब अपनी लिखनी है।
अटल इरादों से क़िस्मत अपनी बदलनी है,
संवार लो ज़िन्दगी तेरी अपनी है।

बहुत हुआ अब और नहीं ,
सीता ,सती सावित्री पहचान नहीं ।
सानिया ,कल्पना ,झाँसी की रानी
ये ही पहचान बनानी है।

रंग भेद का न परवाह कर,
अपनी ही कूँची से नव रंग भर
भेद चक्रव्यूह आवाज़ उठा
आज़ादी तेरी अपनी है।

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हिन्दुस्तान
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खण्डित जब देश हुआ
हिन्दुस्तान दो पाट हुआ
एक देश दो भाग हुआ
भारत देश आज़ाद हुआ

हिन्दुस्तान ने नवनिर्माण किया
१९४७ पंद्रह अगस्त को देश स्वतंत्र हुआ
२६ जनवरी गणतंत्र दिवस हुआ
भारत का संविधान लागू हुआ

प्रगति का मशाल जला
जन -जन को जागृत किया|
द्वार तक समृद्धि आए एसा उपाय किया
सरकारों ने अथक परिश्रम का प्रयास किया|

दृढ़ निश्चय का प्यास
जगा नवनिर्माण का आस|
रगो में व्याप्त हर्षोल्लास
उगता अरुण का प्रभास |

वीर जवानों की क़ुर्बानी से
नस नस में देशभक्ति की ज्योती से|
मित्रता की मृदु वाणी से
अदम्य साहस और संयम से |

सोने की चिड़िया चहचहा रही
भारत माँ कीं छाती गर्व से फ़ुल रही|
विश्व में तिरंगा फहर रहा
शान से हिन्दुस्तान चमक रहा|

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भारत माँ की पुकार

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जय बोलो भारत माता की ,सुन लो माँ पुकार रही ...

 

रगों में जोश राणा जी का भर लो

साहस रानी झाँसी मर्दानी का ले लो

मत लड़ो आपस में वतन वालों

धमनियों को राष्ट्र भक्ति से भर लो।

 

जय बोलो भारत माता की ,सुन लो माँ पुकार रही...

 

सीमा पर प्रहरी जाग रहे

सीने पर गोली खा रहे

दुश्मनों को ललकार रहे

तभी तो हम चैन से सो रहे।

 

जय बोलो भारत माता की ,सुन लो माँ पुकार रही ...

 

मशाल नहीं तिरंगा फहराओ

नाम और सम्मान दिलाओ

धरती माँ का तिलक लगाओ

भारत माँ पर मर मिट जाओ।

 

जय बोलो भारत माता की ,सुन लो माँ पुकार रही

 

विश्व के नक़्शे पर देश चमके

हिन्दुस्तान हमारा तारा सा दमके

प्रेम सद्भाव का हर दिल में बरसे

जय बोलो मिल भारत माँ के।

 

जय बोलो भारत माता की ,सुन लो माँ पुकार रही ...

 

चलो लगाएँ अमन का पौधा मिलकर

भाईचारे का उपवन सजाकर

नफ़रत का बीज दिलों से हटाकर

अब न हो कोई जंग सीमा पर।

 

जय बोलो भारत माता की ,सुन लो माँ पुकार रही ...

 

वाणी में तहज़ीब लखनवी हो

मिठास स्नेह की बंगाली हो

फ़ौलादी जिगर का पंजाबी हो

हर दिल में बहता लहू हिन्दुस्तानी हो।

 

जय बोलो भारत माता की ,सुन लो माँ पुकार रही...




















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स्वच्छता का संकल्प
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जन जन को जागना होगा,मैं ही क्यों से
मैं ही क्यों नहीं ;को अपनाना होगा
साफ़ घर तो बाहर की भी ज़िम्मेदारी
लेना होगा ,घर -बाहर में भेद न कर
वचन ये खुद से लेना होगा |

सरकार ,प्रशासन को कोसने से भला
खुद ही बीड़ा उठाना होगा
शर्म छोड़ कचरा बक्से तक जाना होगा
स्वच्छ मन स्वच्छ तन हो ,स्वच्छ जल स्वच्छ हवा हो
स्वच्छ देश हो ;दृढ़ संकल्प करना होगा |

बुरे विचार बुरी आदतें छोड़ हमें कचरे से कंचन कैसे बने
इस पर दिमाग लगाना होगा
घर ही नहीं ,गली भी मेरी ,यही सोच अपनाना होगा
रोक टोक कर प्यार से समझाकर
स्वच्छता का मुहिम चलाना होगा |

धरा सागर का दम ना घोंटें
प्लास्टिक नहीं कपड़ा अपनाना होगा
घर से निकलो जब भी एक कपड़े का थैला हो साथ
आदत ये हमें डालना होगा |

जर जंगल ज़मीन की साँस ना टूटे
बरखा की हर बूँद ना छूटे
भारत माँ की चुनर हरी हो
धरती माँ की हर कोख भरी हो
काम ऐसा कुछ करना होगा |


भावी पीढ़ी को बेहतर कल का ,तोहफ़ा सौंपना होगा
स्वच्छ भारत हो स्वस्थ भारत हो हर घर शौच हो
खुले में ना का ,अभियान चलाना होगा
पश्चिम की श्रेणी में प्रथम पंक्ति में सजना होगा |


सविता गुप्ता -
राँची (झारखंड)









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