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Friday, January 24, 2020

श्री मौनतीर्थ हिन्दी विद्यापीठ का सारस्वत सम्मान 13-14 अप्रैल को देशभर के हिन्दी सेवी एवं साहित्यकार जुटेंगे श्री मौनतीर्थ पीठ में

श्री मौनतीर्थ हिन्दी विद्यापीठ का सारस्वत सम्मान 13-14 अप्रैल को
देशभर के हिन्दी सेवी एवं साहित्यकार जुटेंगे श्री मौनतीर्थ पीठ में
उज्जैन। 
श्री मौनतीर्थ हिन्दी विद्यापीठ का सारस्वत सम्मान 13 एवं 14 अप्रैल को आयोजित किया जा रहा है। इसमें देशभर के हिन्दी सेवी, लेखक-लेखिका, साहित्यकार, कवि एवं गीतकार आदि श्री मौनतीर्थ पीठ, गंगाघाट पर पधारेंगे। हिन्दी भाषा के प्रचार प्रचार में जुटे साहित्यकारों व लेखकों आदि हिन्दी सेवियों को इस दौरान सम्मानित कर विभिन्न उपाधियों से विभूषित किया जाएगा। इसके लिए श्री मौनतीर्थ हिन्दी विद्यापीठ प्रबंधन समिति ने सारस्वत सम्मान के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की है। सभी हिन्दी सेवी विभूति इसमें अपनी प्रविष्टियां भेज सकते हैं। प्रविष्टि के साथ अपने लेख व प्रकाशित पुस्तक आदि अवश्य भेजें। प्रेषित आलेखों व शोध पत्रों का प्रकाशित स्मारिका में प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा। प्रविष्टि भेजनें की अंतिम तिथि 15 मार्च 2020 है। इसके पश्चात प्राप्त प्रविष्टियों पर विचार नहीं किया जाएगा।  
उल्लेखनीय है कि जिस देश के पास अपनी 22 संवैधानिक भाषाएँ हों, जहां पर कोस-कोस पर पानी और चार कोस पर वाणी की बात कही जाती है, जहां 179 भाषाऐं 544 बोलियां हैं, बावजूद इसके देश का राजकाज सात समंदर पार एक अदने से देश की भाषा में हो रहा है, इस तथ्य पर मंथन होना चाहिए। देशवासियों में भावात्मक एकता, परस्पर सद्भाव व भाषाई सौहार्द, हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं को समुचित सम्मान व प्रतिष्ठा, हिन्दी सेवियों के हितों का संरक्षण, एकजुटता, समन्वित प्रयास की एक सार्थक पहल के रूप में श्री मौनतीर्थ हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना की गई है।
विद्यापीठ के प्रमुख कार्य व उद्देश्य
१. हिन्दीतर भाषी हिन्दी लेखकों तथा हिन्दी साहित्यकारों की संगोष्ठियों सम्मेलनों का आयोजन करना। हिन्दीतर भाषी हिन्दी लेखकों तथा छात्रों ,विद्वतजनों का अभिनन्दन करना व सारस्वत सम्मानोपाधि प्रदान करना। हिन्दीतर भाषी हिन्दी लेखकों की रचनाओं का संस्थाओं के सहयोग से प्रकाशन कराना। २. हिन्दी, समेत देश की विभिन्न बोलियों भाषाओं का परिरक्षण, संवर्धन और विकास करना, जिससे हिन्दुस्तानी साहित्य और अधिक  समृद्ध हो सके। ३. ज्ञान की विभिन्न शाखाओं से सम्बद्ध भारत तथा विश्व की विभिन्न भाषाओँ में उपलब्ध सामग्री का मानक हिंदी अनुवाद की व्यवस्था। ४. सृजनात्मक साहित्य का प्रोत्साहन एवं प्रकाशन। ५. हिन्दी समेत सभी भारतीय भाषाओं के सन्दर्भ ग्रन्थ बनाना और उनका प्रकाशन करना। ६. साहित्यकारों, लेखकों, कवियों, वैज्ञानिकों तथा कलाकारों ,असाधारण व्यक्तित्वों का सारस्वत सम्मान करना। ७. हिन्दी समेत सभी भारतीय भाषाओँ पर अकादमिक व्याख्यानमाला का आयोजन करना। ८. भारतीय साहित्य के प्रसार और प्रचार के लिए वार्षिक सम्मेलन,अधिवेशन  का आयोजन करना। ९. हिन्दी साहित्य के वैज्ञानिक स्वरुप को वैश्विक स्तर पर ख्याति दिलाने हेतु विश्व की भाषाओं में समकालीन हिंदी साहित्य के अनुवाद तथा भारतीय तथा अन्य भाषाओं से हिंदी में शब्द ग्रहण के तंत्र का निर्माण। १०. भारतीय भाषाओं के मानकीकरण के लिए कार्यशाला का आयोजन। ११. हिन्दी भाषा और संस्कृति को प्रोत्साहित करने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना। १२. भारतीय भाषाओं के प्रोत्साहन हेतु पत्रिका, समाचार पत्रों व इलेक्ट्रॉनिक /सोशल मीडिया का संचालन करना। १३. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठन निर्माण व विस्तार। १४. हिंदी के मानकीकरण द्वारा इसकी समकालीन उपयोगिता को स्थापित करने का प्रयास। इस हेतु ज्ञान की नवीनतम शाखाओं हेतु मानक शब्दकोशों का निर्माण। १५. मुद्रण लेखन में मानक देवनागरी के प्रयोग का प्रचार -प्रसार और हिंदी और देवनागरी के नवीनतम संचार तकनीक एवं उपकरणों में प्रयोग की दिशा में तकनीकीविदों के साथ मिल कर कार्य। १६. हिन्दी तथा हिन्दीतर प्रदेशों के विद्वानों के भाषणों की व्यवस्था। १७. हिन्दीतर भाषी वरिष्ठ साहित्यकारों की हिन्दी प्रदेशों में सद्भावना यात्राएँ। १८. स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाओं के कार्यों में समन्वय स्थापित करना। १९. हिन्दीतर भाषी लेखकों की पुस्तकों की प्रदर्शनी का आयोजन।


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Aksharwarta International Research Journal, April 2024 Issue