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Saturday, February 15, 2020

आया बसंत

आया बसंत
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अहा !बसंत का देखो पीत दर्पण...

ऋतु राज का पावन क़दम
पुष्प गुच्छों के झूमते सरगम
नवल देह तरू वर पत्र पहन
तितलियों की चंचल तनमन
बगीया की देखो अद्भुत यौवन

अहा !बसंत का देखो पीत दर्पण ...

अमिया की डाली गुँथीं मंजरी
ख़ुशबू फैली मादक रसभरी
खेत सजी सजनी की पियरी
निहारती प्रकृति प्रेमी सुंदरी

अहा !बसंत का देखो पीत दर्पण |

गेंदा ,सरसों के लहराते फूल
सींच लूँ मन को बसंत के रंग में
सराबोर हो जाउँ बासंती बयार में
माँ शारदा के आगमन का दस्तक है
धरा ने देखो अद्भुत शृंगार किया है

अहा! बसंत का देखो पीत दर्पण |

मंद मंद हवाएँ ,शोख़ फ़िज़ाएँ
गुनगुना रही फाल्गुन के गीत
सुर्ख़ टेसू के फूल के रंग से
भीगे तन मन गोरी प्रेम से

अहा !बसंत का देखो पीत दर्पण |


               सविता गुप्ता-(स्वरचित)
                राँची (झारखंड)


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Aksharwarta International Research Journal August - 2024 Issue