जिसने हर कष्ट से उभारा है
सुख में तू उसको भूल जाता है
इश्क की इंतहा बताएगी
कौन राधा है कौन मीरा है
भूल जाओ मुझे सितमगर तुम
अब यही वक़्त का तक़ाज़ा है
डूब के मर गए कई इसमें
तब से सागर का पानी खारा है
जिसने हर कष्ट से उभारा है
सुख में तू उसको भूल जाता है
इश्क की इंतहा बताएगी
कौन राधा है कौन मीरा है
भूल जाओ मुझे सितमगर तुम
अब यही वक़्त का तक़ाज़ा है
डूब के मर गए कई इसमें
तब से सागर का पानी खारा है