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Thursday, April 16, 2020

इंसानियत (कविता )

क्यों कहा जाता है कि 



इंसान बनों 

और इंसान बनकर 

इंसानियत को अपनाओ 

खुद के मन में

सवाल उठता है 

क्या हम 

इंसान नहीं? 

क्या हमारा 

कर्म?

इंसानियत वाला

नहीं? 

अपने कर्म का

आत्मविश्लेषण 

चला। 

 

तो पाया 

इंसान का

मुखौटा ओढ़ कर 

 

कर्म हैवानियत 

के हो वह इंसान 

नहीं। 

मुखौटे की 

ओट में

नफरतों की 

शमशीरे

छुपाना 

 

इंसानियत नहीं

 

कर्म होवे इंसान 

जैसे

मुखौटे में

छिपे समदृष्टि

समभाव 

वही 

वास्तव में

इंसानियत 

 

हीरा सिंह कौशल गांव व डा महादेव सुंदरनगर मंडी 


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Aksharwarta Internationa Research Journal December - 2023 Issue