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Thursday, April 9, 2020

रूह का सुक़ून......

रूह का सुक़ून......

 

 

मुझे छू के तेरी रूह 

ने अपना बना दिया 

जो अब तक नही बना  

वो फ़साना बना दिया

 

दिली गली में आज 

कोई चल के आगया

खाली था दिल मेरा

उसे कब्ज़ा लिया

मुझे छू के तेरी रूह ने

अपना बना लिया......

 

अब तो बेक़रारी 

मेरे दिल की बढ़ गई

मेरी खामोशियाँ 

मेरी आवाज़ बन गई

मुझे छू के तेरी रूह ने

अपना बना लिया......

 

आरिफ़ असास..

दिल्ली

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Aksharwarta International Research Journal May - 2024 Issue