Impact Factor - 7.125

Sunday, August 2, 2020

फ़ौजी की राखी

फ़ौजी की राखी
बहना इसकी बाट जोहे, ये कब राखी पर घर आता है!
तीज त्यौहार सब हुए बेगाने, कब रक्षाबंधन मनाता है!!
माथे पर मेरे भी हो तिलक, और मुँह में मेरे  मिठाई हो!
राखी बांधे बहना मेरी भी, सूनी ना कभी मेरी कलाई हो!
परिवार के बीच रह पाऊं, हर त्यौहार की भी बधाई हो!
मन इसका भी तो ये सोचे,  कभी ना कोई रुसवाई हो!
सपनों में ही सोचकर ये सब, बस ये फ़ौजी सो जाता है!
बहना इसकी बात जोहे ये कब राखी पर घर आता है!!


देखकर अपनी सुनी कलाई, दिल इसका भी तो रोता है!
सीमा की हलचल झेल, देश मे बीज शांति का बोता है!
दुश्मन के आगे डटा रहे, ये कब नींद चैन की सोता है!
बस इतना ही काफी नही, ये अपनी जान भी खोता है!
मौन रहकर सब सहता ये, इसका ना दिल बैठा जाता है!
बहना इसकी बाट जोहे, ये कब राखी पर घर आता है!!


और कुछ कर ना पाएं, तो निकले दुआ हमारे दिलों से!
जान इनकी रखना सलामत, सामने खड़े कातिलों से!
आपस मे प्यार बना रहे, दूर रहे ये हर शिकवे गिलो से!
हार का ना मुँह देखे कभी, लौटें जीतकर हर किलों से!
अपना मन रखने को ये, कईबार खुद से भी बतियाता है!
बहना इसकी बाट जोहे ये कब राखी पर घर आता है!!


सुषमा मलिक "अदब"
रोहतक (हरियाणा)



Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal May - 2024 Issue