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Friday, January 3, 2020

जदे नवी लाडी घर आवे है |

दादा दादी के लागे प्यारी ,
पूरा घर की है वा राजदुलारी ,
दुर्गा सी आभा से मदमाती ,
खिल खिलाती मुस्कुराती,
जिपे सब  प्यार लुटावे है
जदे नवी लाड़ी घर आवे है |
ससरा को मन हर्सावे है ,
सासू देखी के इठलावे है ,
घर को हर कोणों मुस्कावे है
जदे नवी लाड़ी घर आवे है |
बाबुल का आँगन की चिड़िया
सुनी लागे आंगन की सीडिया
भैया की तो जैसे सखी सहेली
सुनी करके वा  चली हवेली
अब साजन को मन मह्कावे है
जदे नवी लाड़ी घर आवे है |

राजेश भंडारी “बाबू”
९००९५०२७३४


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Aksharwarta Internationa Research Journal December - 2023 Issue