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Saturday, April 18, 2020

आधुनिक नारी

आधुनिक नारी

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गर्व से कहती हूँ,हाँ मैं आधुनिक नारी हूँ।

नौ शक्ति,नौ दुर्गा,जगत जननी जग धात्री हूँ।

पुष्पों से कोमल भाव हैं मुझमें,

नौ रस, नौ रूप मैं धारण करती हूँ।

 हाँ मैं आधुनिक नारी हूँ।।

मैं कलाकार,समाज संस्कृति का चित्र बनाती हूँ।

कर श्रृंगार नित नए रूप सजाती हूँ।

मैं जननी ममता से वात्सल्य भाव जगाती हूँ।

मैं अन्नपूर्णा उदर जगत का पालन करती हूँ।

  हाँ मैं आधुनिक नारी हूँ।।

मैं आधुनिक संचारिक,

इंटरनेट भी चलाती हूँ।

अब नहीं मैं अबला,बन काली दुष्टों को सबक सिखाती हूँ।

कल्पना चावला जैसा रूप है मेरा,

अंतरिक्ष की सैर भी कराती हूँ।

हाँ मैं आधुनिक नारी हूँ।।

ज्ञान-विज्ञान में मैं गार्गी,अपाला

जग को नए आयाम सिखाती हूँ।

मैं शक्ति,मैं सैनिक-सिपाही भी बन जाती हूँ।

में कोमल भी,कठोर भी,

देती जन्म वीरों को,कभी खुद सिपाही बन जाती हूँ।

हममें है दम,गर्व से ये कहती हूँ।

ना हारी हूँ,न हारूँगी,जगत को ये समझाती हूँ।

हाँ मैं आधुनिक नारी हूँ।।

 

गीतांजली वार्ष्णेय

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Aksharwarta International Research Journal May - 2024 Issue