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Thursday, June 4, 2020

ग़ज़ल

ग़ज़ल
ख़ुदा पर ठीकरें क्यों फोड़ता है
तेरी ही ख़्वाहिशों से दुःख बढ़ा है


ग़रीबी भुखमरी इसका सबब है
कोई अपनी ख़ुशी से कब मरा है


अगर दिल में फ़क़त उसके मोहब्बत
हवस से किसकी जानिब ताकता है


मुझे साया जो देता था शजर जो
मेरी हसरत के बाइस गिर गया है


तसव्वर से निकल आए हक़ीक़त
कहाँ अक्सर ये साहिब हो सका है


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Aksharwarta Internationa Research Journal December - 2023 Issue