१-पिता
संवेदना कराह की,
कांटों भरी राह की।
तू अश्रु मेरे नेत्र का,
रहस्य है हर क्षेत्र का।।
उत्साह मेरे जीत का,
तू राग मेरे गीत का।
तू अन्न मेरे भूख का,
तू ख़ुशी मेरे सीख का।।
हे पिता! तू है मित्र सा,
मझधार में अस्तित्व सा।
आत्मा व्यक्तित्व का,
व्यक्तित्व का चरित्र भी।।
हर हाल में तू ढाल है,
मैं मांस तू कंकाल है।
जिज्ञासा में मैं लिप्त था,
संतुष्ठ मैं तू तृप्त था।।
ज्ञान का प्रमाण है,
तू प्रेम में प्रगाढ़ है।
विद्वान तू विधान का,
ख़ुमार है परवान सा।।
उत्साह का दर्पण है तू,
प्रतिबिम्ब है गुरुज्ञान का
परमार्थ को अर्पण है तू।
परमात्मा है राष्ट्र का।।
अश्रु से परेशान तू,
स्वयं से अनजान सा।
हे पितृ! तू सर्वत्र है,
हृदय तेरा ब्रह्मांड सा।।
२-राग एक हो...
देश एक और राग एक हो
हम सबका परित्याग एक हो
देश धर्म समभाव एक हो
देशभक्त की बात एक हो।।
जब संकट मंडराए सिर पर
राष्ट्र के नाम मुहिम ऊपर हो
आपदा आए यदि कृषक पर
कृषि प्रधान गूंज एक हो।।
संकट समय यदि सीमा पर
राष्ट्र प्रथम का राग एक हो
मिले शहादत यदि सैनिक को
भारत एक, परिवार एक हो।।
यदि किसी ने हिंसा की हो
हिंसक है का ज्ञान एक हो
भारतवासी एक सदा हो
भारत माँ की गूंज एक हो।।
विश्वधरा की बात यदि हो
वसुधैव कुटुम्बकम लाप एक हो
आंच यदि मानव पर आए
इंसान की प्रजाति एक हो।।
नाम: ज़हीर अली सिद्दीक़ी
स्थायी पता: ग्राम-जोगीबारी, पो.खुरहुरिया, जनपद-सिद्धार्थनगर, उत्तरप्रदेश-२७२२०४
(Peer Reviewed, Refereed, Indexed, Multidisciplinary, Bilingual, High Impact Factor, ISSN, RNI, MSME), Email - aksharwartajournal@gmail.com, Whatsapp/calling: +91 8989547427, Editor - Dr. Mohan Bairagi, Chief Editor - Dr. Shailendrakumar Sharma IMPACT FACTOR - 7.125
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Thursday, June 4, 2020
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